Aarti Kunj Bihari Ki भगवान कृष्ण की आरती

Aarti Kunj Bihari Ki आरती भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस आरती का पाठ करने से व्यक्ति के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। आज इस पोस्ट  में आपको इस आरती के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिल जायेगा ।

हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग और खासकर भगवान कृष्ण के भक्त रोजाना इस आरती का पाठ करते हैं। इतना ही नहीं यह आरती लगभग हर धार्मिक कार्य में गाई जाती है। कृष्ण भक्तों ने इस आरती को अलग-अलग धुनों में पिरोकर इसका लुत्फ उठाया है.

Aarti Kunj Bihari Ki
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Language Hindi
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Category Religion & Spirituality

Aarti Kunj Bihari Ki आरती का महत्व

कृष्ण भक्तों के लिए यह आरती अमृत सागर के समान है। इसके गायन से वातावरण में सकारात्मकता आती है। भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप का गुणगान करने वाली यह आरती मानसिक शांति भी प्रदान करती है। इस आरती का पाठ करने से व्यक्ति की दरिद्रता दूर हो जाती है और उसे सामाजिक स्तर पर मान-सम्मान भी मिलता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान कृष्ण की इस आरती पर नृत्य करते हैं। यह आरती कृष्ण मंदिरों में प्रतिदिन पढ़ी जाती है।

इस आरती में बिहारी शब्द का प्रयोग किया गया है जो भगवान कृष्ण के कई नामों में से एक है। इसका मतलब यात्रा करने वाला भी होता है। जबकि कुंज का अर्थ है हरे-भरे वन उपवन। अत: कुंजबिहारी का अर्थ है वृन्दावन के वन-उपवनों में भ्रमण करने वाला।

Aarti Kunj Bihari Ki
Aarti Kunj Bihari Ki

Aarti Kunj Bihari Ki से प्रेम और विवाह में सफलता मिलती है।

जो लोग अपने पार्टनर से दिल से प्यार करते हैं और अपने प्यार को शादी के बंधन में बांधना चाहते हैं उन्हें भगवान कृष्ण की पूजा और कुंज बिहारी जी की आरती जरूर करनी चाहिए। इस आरती का पाठ करने से वैवाहिक जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह आरती गर्भवती महिलाओं के लिए भी शुभ मानी जाती है क्योंकि इसके उच्चारण से गर्भ में पल रहे बच्चे में अच्छे गुण आते हैं।

आरती कुंज बिहारी की कैसे करें (Aarti Kunj Bihari Ki)

भगवान कृष्ण की यह आरती सुबह या शाम किसी भी समय पढ़ी जा सकती है। इस आरती को सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद पूजा स्थान पर धूप-दीप जलाकर सच्चे मन से पढ़ना चाहिए। अगर आप लगातार भगवान की पूजा करते हैं तो पूजा स्थान पर बांसुरी रखें। पूजा के दौरान भगवान कृष्ण की मूर्ति या मूर्ति के सामने फूल चढ़ाएं।

कुंजबिहारी जी की आरती के लाभ

भगवान श्रीकृष्ण का नाम मात्र ही कई दुखों को दूर कर देता है, ऐसे में अगर सच्चे मन से उनकी आरती की जाए तो व्यक्ति को कई शुभ लाभ मिलते हैं।

• इस आरती को सुबह और शाम दोनों समय करने से पारिवारिक जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

• कुंज बिहारी जी की आरती मन को शांति प्रदान करती है।

• इस आरती का पाठ करने से अन्य देवी-देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं।

• इस आरती का पाठ करने से आर्थिक परेशानियों से भी राहत मिलती है।

• आरती पढ़ने से नकारात्मक शक्तियां आपके आसपास नहीं आतीं।

• Aarti Kunj Bihari Ki आरती का पाठ करने से प्रेमी  जीवन में सफल हो जाता है।

• यह आरती आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली भी मानी जाती है।

• इस आरती को गाने से व्यक्ति को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

आरती कुंज बिहारी की

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।

श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।

लतन में ठाढ़े बनमाली,

भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,चंद्र सी झलक,

 ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

कनक मय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।

गगन सों सुमन रासि बरसै ।

बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।

स्मरन ते होत मोह भंगा,

 बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू,

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥


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