Aarti Sangrah PDF Download |सभी देवी देवताओ की आरती संग्रह pdf download |

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Aarti SangrahPDF |सभी देवी देवताओ की आरती संग्रह pdf download | 

Aarti Sangrah In Hindi PDF |सभी देवी देवताओ की आरती संग्रह pdf download |
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Aarti Sangrah PDF |सभी देवी देवताओ की आरती संग्रह pdf download | Download
Category Religion & Spirituality

Aarti Sangrah PDF |सभी देवी देवताओ की आरती संग्रह pdf download |

आरती संग्रह में शब्द “आरती” का क्या अर्थ है?

आरती का अर्थ सभी जानते हैं, लेकिन जो लोग नहीं जानते हैं, उनके लिए यहां एक आसान परिभाषा दी गई है।

हिंदू धर्म में एक या अधिक देवताओं के लिए प्रार्थना करना आरती है, जिसे कभी-कभी आरती, आरती, आरती, आरती भी कहा जाता है। जब हम प्रार्थना या पूजा करते हैं, हम देवता को दीपक या कपूर (हिंदी में कपूर कर्पूर) के रूप में प्रकाश अर्पित करते हैं और उनकी प्रशंसा में गाना गाया जाता है। यही आरती का अर्थ है।

जैसा कि नाम से पता चलता है, हिंदी में आरती संग्रह, विभिन्न हिंदू देवताओं की स्तुति में गाए गए गीतों या प्रार्थनाओं का एक संग्रह है।

महफिल हिंदू पूजा में उपयोग की जाने वाली सभी आरतियों की एक व्यापक सूची प्रदान करता है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों में आरती गाने हैं।

लेख पढ़ना जारी रखें!

आरती ॐ जय जगदीश हरे शायद हिंदू पूजा में सबसे अधिक प्रयुक्त आरती है। ओम जय जगदीश हरे आरती सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को समर्पित है। इस आरती गीत को लगभग हर हिंदू जानता है, इसलिए किसी को इसे सुनाने के लिए गीत देखने की जरूरत नहीं है। हम, हालांकि, उन्हें आरती का पूरा भाग ओम जय जगदीश हरे गीत याद नहीं है।

Aarti Om Jai Jagdish Hare Aarti Sangrah pdf

आरती ओम जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

Aarti Kunj Bihari Ki – Aarti Sangrah pdf

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

Aarti Banke Bihari Ki – Aarti Sangrah pdf

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।
प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।
देखि छवि बलिहारी जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

चरणों से निकली गंगा प्यारी।
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

दास अनाथ के नाथ आप हो।
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो।
हरि चरणों में शीश नवाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

श्री हरि दास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ।
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

Aarti Hanuman Ji Ki  Aarti Sangrah pdf

आरती हनुमान जी की

आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई।सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।लंका जारि सिया सुधि लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे।सियारामजी के काज सवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे।अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे।दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें।जय जय जय हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई।आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥

Ambe Tu Hai Jagdambe Kaali Aarti Sangrah pdf

आरती अम्बे तू है जगदम्बे काली

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

तेरे भक्त जनों पे माता भीड पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी
तेरे भक्त जनों पे माता भीड पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी

सौ-सौ सिहों से भी बलशाली, है दस भुजाओं वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने हैं पर ना माता सुनी कुमाता
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने हैं पर ना माता सुनी कुमाता

सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली
दुखियों के दुखड़े निवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना
हम तो मांगें माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना
हम तो मांगें माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना

सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली
सतियों के सत को संवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती..

Ganesh Ji Ki Aarti Aarti Sangrah pdf

आरती गणेश जी की

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥
एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥

पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
हार चढ़े, फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥
पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
हार चढ़े, फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।
कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥

Shri Ramchandra Kripalu BhajmanAarti Sangrah pdf

आरती रामचंद्र कृपालु भजमन

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि,नव नील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

Saraswat Maa Arti in Hindi सरस्वती माता की आरती |Aarti Sangrah pdf

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता

चन्द्रबदनि पद्मासिनि, कृति मंगलकारी
मैय्या कृति मंगलकारी
सोहे शुभ हंस सवारी, सोहे शुभ हंस सवारी
अतुल तेज धारी
जय जय सरस्वती माता

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला
मैय्या दाएं कर माला
शीश मुकुट मणि सोहे, शीश मुकुट मणि सोहे
गल मोतियन माला
जय जय सरस्वती माता

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया
मैय्या उनका उद्धार किया
बैठी मंथरा दासी, बैठी मंथरा दासी
रावण संहार किया
जय जय सरस्वती माता

विद्यादान प्रदायनि, ज्ञान प्रकाश भरो
जन ज्ञान प्रकाश भरो
मोह अज्ञान की निरखा, मोह अज्ञान की निरखा
जग से नाश करो
जय जय सरस्वती माता

धूप, दीप, फल, मेवा, माँ स्वीकार करो
ओ माँ स्वीकार करो
ज्ञानचक्षु दे माता, ज्ञानचक्षु दे माता
जग निस्तार करो
जय जय सरस्वती माता

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावै
मैय्या जो कोई जन गावै
हितकारी सुखकारी हितकारी सुखकारी
ज्ञान भक्ति पावै
जय जय सरस्वती माता

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता
जय जय सरस्वती माता

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी
त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता

Shiv Ji Ki Aarti Aarti Sangrah pdf

शिवजी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्येये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंगा बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरतीजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

Aarti Om Jai Laxmi Maata | Aarti Sangrah pdf

आरती ॐ जय लक्ष्मी माता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥

निश्चित रूप से! यहां हिंदी में “आरती संग्रह” Aarti Sangrah Pdf से संबंधित कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) दिए गए हैं:

आरती संग्रह (Aarti Sangrah) क्या है?

आरती संग्रह एक संकलन है जिसमें भक्ति भाव से लिखी गई भजन, स्तोत्र और आरतीयों का संग्रह होता है। ये हिंदू धर्म के देवी-देवताओं की स्तुति में प्रयोग होता है।

आरती संग्रह का उपाय कैसे होता है?

आरती संग्रह को भक्ति भाव से पढ़ना या सुनना, देवी-देवताओं की आराधना में उपयोगी है। ये आदमी को शांत और ध्यान केन्द्रित रखने में मदद करता है।

कुछ प्रमुख आरती संग्रह (Aarti Sangrah ) का नाम बताएं।

कुछ प्रमुख आरती संग्रह में “गणपति आरती”, “हनुमान चालीसा”, “दुर्गा चालीसा”, “शिव आरती”, “लक्ष्मी आरती” आदि शामिल होते हैं।

आरती संग्रह (Aarti Sangrah In Hindi PDF) कैसे डाउनलोड करें?

आरती संग्रह को इंटरनेट से डाउनलोड करने के लिए, आप ऑनलाइन सर्च इंजन का उपयोग कर सकते हैं। आपको अपने चुनने गए देवी-देवता की आरती संग्रह पर सर्च करना होगा।

आरती संग्रह (Aarti Sangrah) में क्या-क्या होता है?

आरती संग्रह में भक्ति संबंध स्तोत्र, भजन और आरतियां होती हैं। ये श्लोक, मंत्र, और गीत को एक साथ समाहित करता है।

आरती संग्रह का महत्तव क्या है?

आरती संग्रह का महत्वा भक्ति मार्ग में है। ये साधक को मन की शुद्धि और अंतरात्मा की स्थिति में लाने का प्रयास करता है।

क्या आरती संग्रह हर समय पढ़ना चाहिए?

आरती संग्रह को हर समय पढ़ना अनिवार्य नहीं है, लेकिन भक्ति और श्रद्धा भाव से जब मन हो, तब पढ़ना या सुनना चाहिए।

आरती संग्रह में कितनी भाषाएँ होती हैं?

आरती संग्रह को अलग-अलग भाषाओं में लिखा गया है। हिंदी, संस्कृत, मराठी, गुजराती, और अन्य भारतीय भाषाओं में भी आरती संग्रह उपलब्ध है।

आरती संग्रह में कुछ प्रमुख आरतीयां कौन सी होती हैं?

कुछ प्रमुख आरतीयाँ “ओम जय जगदीश हरे”, “जय अम्बे गौरी”, “ओम जय लक्ष्मी माता”, “ओम जय शिव ओंकारा” आदि हैं।

आरती संग्रह किसी को भी समय पढ़ना चाहिए या कोई विशेष मुहूर्त होता है?

आरती संग्रह को किसी भी समय पढ़ सकते हैं, लेकिन कुछ लोग इसे सुबह-शाम या पूजा के समय पढ़ना अधिक शुभ मानते हैं।

Conclusion

आरती संग्रह में सभी देवी देवताओ के आरती दी गई है इसका pdf आप स्वयं डाउनलोड करके अपने मोबाइल या कंप्यूटर में रख सकते है जिससे आवश्कता पड़ने पर उपयोग कर सकते है डाउनलोड करना बिलकुल फ्री है जिसका लिंक निचे दिया गया है ! प्रस्तुत pdf में ना केवल आरती दी गेई है बल्कि पूजन विधि वंदना चालीसा आदि 1एक ही आरती संग्रह में इन सभी का समावेश किया गया है आप इसे पढ़कर इसका लाभ उठा सकते है आपका अमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद

(अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। vrmsolution.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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