Budh Pradosh Vrat Katha | बुध प्रदोष व्रत कथा एवं महत्व

हिंदू परंपराओं की समृद्ध परंपरा में, बुध प्रदोष व्रत कथा (Budh Pradosh Vrat Katha) , एवं बुध प्रदोष व्रत एक विशेष स्थान रखता है, जो भक्तों को भगवान शिव और देवी पार्वती का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। चंद्र पखवाड़े के 13वें दिन बुधवार को पड़ने वाला यह पवित्र अनुष्ठान सिर्फ एक उपवास से कहीं अधिक है; यह भक्ति की गहन अभिव्यक्ति और इच्छाओं की पूर्ति का मार्ग है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम बुध प्रदोष व्रत के महत्व, इसके इतिहास, रीति-रिवाजों और आस्था के अंतर्निहित संदेश की खोज करेंगे।

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Budh Pradosh Vrat Katha | बुध प्रदोष व्रत कथा एवं महत्व : Pdf Free Download 

Budh Pradosh Vrat Katha | बुध प्रदोष व्रत कथा एवं महत्व
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Category Religion & Spirituality

Budh Pradosh Vrat Katha पौराणिक मान्यताये :

बुध प्रदोष व्रत की जड़ें प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं, विशेष रूप से राक्षस दुंदुभी की कहानी में मिलती हैं। इस दुष्ट शक्ति को शक्तिशाली भगवान शिव ने वश में कर लिया, जिससे दिव्य लोकों में शांति आ गई। कृतज्ञता में, ऋषियों ने बुध प्रदोष व्रत की स्थापना की, जो प्रतिकूल परिस्थितियों पर भगवान शिव की जीत का सम्मान करने के लिए उपवास और प्रार्थना के लिए समर्पित दिन है।

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat ) की विधि:

बुध प्रदोष व्रत को श्रद्धालु अटूट आस्था और समर्पण के साथ मनाते हैं। अनुष्ठानों में आम तौर पर एक दिन का उपवास, सूर्यास्त तक भोजन और पानी से परहेज करना शामिल होता है। शाम की पूजा करने और भगवान शिव को प्रसाद चढ़ाने के बाद व्रत खोला जाता है। भक्त अक्सर शिव मंदिरों में जाते हैं, पवित्र भजनों का पाठ करते हैं और अपने आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करने के लिए ध्यान में संलग्न होते हैं।

भक्ति की शक्ति: Budh Pradosh Vrat Katha

निःसंतान दंपति सुमित्रा और हेमाद्रि की कहानी, जिन्हें बुध प्रदोष व्रत के माध्यम से सांत्वना मिली, भक्ति की परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण देती है। व्रत के प्रति उनकी अटूट आस्था और प्रतिबद्धता से भगवान शिव प्रभावित हुए, जिन्होंने उन्हें एक बच्चे का आशीर्वाद दिया। यह कथा इस विश्वास को रेखांकित करती है कि व्रत का ईमानदारी से पालन करने से हार्दिक इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।

समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगना:

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) केवल एक अनुष्ठान नहीं है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो भक्तों को ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं के साथ जोड़ती है। भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद मांगकर, व्यक्ति अपने जीवन में समृद्धि, खुशी और दैवीय कृपा को आमंत्रित करने की आशा करते हैं। व्रत आत्मनिरीक्षण, शुद्धि और सदाचार के जीवन के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता का एक अवसर है।

बुध प्रदोष व्रत कथा (Budh Pradosh Vrat Katha)

Budh Pradosh Vrat Katha


Budh Pradosh Vrat Katha : प्राचीन काल की कथा है, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ था। वह गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लिवाने के लिए अपनी ससुराल पहुंचा और उसने सास से कहा कि बुधवार के दिन ही पत्नी को लेकर अपने नगर जायेगा। उस पुरुष के सास-ससुर ने, साले-सालियों ने उसको समझाया कि बुधवार को पत्नी को विदा कराकर ले जाना शुभ नहीं है, लेकिन वह पुरुष अपनी जिद से टस से मस नहीं हुआ।

विवश होकर सास-ससुर को अपने जमाता और पुत्री को भारी मन से विदा करना पड़ा। पति-पत्नी बैलगाड़ी में चले जा रहे थे। एक नगर के बाहर निकलते ही पत्नी को प्यास लगी। पति लोटा लेकर पत्नी के लिए पानी लेने गया। जब वह पानी लेकर लौटा तो उसके क्रोध और आश्चर्य की सीमा न रही, क्योंकि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष के लाये लौटे में से पानी पीकर हंस-हंसकर बतिया कर रही थी। क्रोध में आग-बबूला होकर वह उस आदमी से झगड़ा करने लगा।

मगर यह देखकर आश्चर्य की सीमा न रही कि उस पुरुष की शक्ल उस आदमी से हू ब हू मिलती थी। हम शक्ल आदमियों को झगड़ते हुए जब काफी देर हो गई तो वहां आने-जाने वालों की भीड़ एकत्र हो गई, सिपाही भी आ गया। सिपाही ने स्त्री से पूछा कि इन दोनों में से कौन सा आदमी तेरा पति है, तो वह बेचारी असमंजस में पड़ गई, क्योंकि दोनों की शक्ल एक-दूसरे से बिल्कुल मिलती थी।

बीच राह में अपनी पत्नी को इस तरह लुटा देखकर उस पुरुष की आंख भर आई। वह शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा, कि हे भगवान आप मेरी पत्नी की रक्षा करो। मुझसे बड़ी भूल हुई जो मैं बुधवार को पत्नी को विदा करा लाया। भविष्य में ऐसा अपराध कदापि नहीं करूंगा। उसकी वह प्रार्थना जैसे ही पूरी हुई कि दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया और वह पुरुष सकुशल अपनी पत्नी के साथ अपने घर पहुंच गया। उस दिन के बाद पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार प्रदोष व्रत रखने लगे।

भगवान शिव की आरती

ओम जय शिव ओंकारा शिव आरती

ओम जय शिव ओंकारा।
प्रभु हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
स्वामी (शिव) पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


दोभुज चार चतुर्भुज, दशभुज अति सोहे।
स्वामी दशभुज अति सोहे।
तीनो रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
स्वामी मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी, कर माला धारी॥
(चन्दन मृगमद सोहे, भाले शशि धारी॥)
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


श्वेतांबर पीतांबर, बाघंबर अंगे।
स्वामी बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुडादिक, भूतादिक संगे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


करमध्येन कमंडलु, चक्र त्रिशूलधारी।
स्वामी चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकर्ता दुखहर्ता, जग-पालन करता॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
स्वामी जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर ओम मध्ये, ये तीनों एका॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


काशी में विश्वनाथ विराजत, नन्दो ब्रह्मचारी।
स्वामी नन्दो ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


त्रिगुण स्वामीजी की आरती, जो कोइ नर गावे।
स्वामी जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी , मन वांछित फल पावे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥


ओम जय शिव ओंकारा।
प्रभु हर शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

कर्पूर आरती

कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।

सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥

FAQ

Q1: बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) क्या है?

उ1: बुध प्रदोष व्रत एक हिंदू व्रत है जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। यह चंद्र पखवाड़े के 13वें दिन (प्रदोष) को पड़ता है जो बुधवार (बुधवार) के साथ मेल खाता है।

Q2: बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) कब मनाया जाता है?

उ2: बुध प्रदोष व्रत चंद्र पक्ष के 13वें दिन बुधवार को मनाया जाता है।

Q3: बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) करने का क्या महत्व है?

उ3: माना जाता है कि यह व्रत दैवीय आशीर्वाद, समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति लाता है। इसकी जड़ें पौराणिक कथाओं में हैं, विशेषकर राक्षस दुंदुभि पर भगवान शिव की विजय में।

Q4: बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat) के विशिष्ट अनुष्ठान क्या हैं?

उ4: भक्त दिन भर का उपवास रखते हैं, सूर्यास्त तक भोजन और पानी से परहेज करते हैं। वे शिव मंदिरों में जाते हैं, पवित्र भजन पढ़ते हैं और शाम की प्रार्थना करते हैं। अनुष्ठानों के बाद, अक्सर भगवान शिव को प्रसाद चढ़ाकर व्रत तोड़ा जाता है।

Q5: क्या कोई बुध प्रदोष व्रत रख सकता है?

उ5: हाँ, बुध प्रदोष व्रत कोई भी कर सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो। यह एक व्यक्तिगत पसंद और किसी की भक्ति की अभिव्यक्ति है।

प्रश्न 6: क्या बुध प्रदोष व्रत के साथ कोई विशिष्ट प्रार्थनाएं या मंत्र जुड़े हुए हैं?

उ6: भक्त अक्सर व्रत के दौरान भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित प्रार्थनाओं और मंत्रों का पाठ करते हैं। महा मृत्युंजय मंत्र और रुद्र अष्टकम का आमतौर पर पाठ किया जाता है।

Q7: क्या व्रत के दौरान कोई भी भोजन खा सकता है?

उ7: व्रत के दौरान भक्त आमतौर पर अनाज और मांसाहारी भोजन का सेवन करने से परहेज करते हैं। आमतौर पर फल, दूध और विशिष्ट व्रत-अनुकूल खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है।

प्रश्न8: बुध प्रदोष व्रत के पीछे की कहानी (Budh Pradosh Vrat Katha)क्या है?

उ8: यह व्रत राक्षस दुंदुभि पर भगवान शिव की विजय की पौराणिक कथा से जुड़ा है। कृतज्ञता में, ऋषियों ने बुध प्रदोष व्रत की स्थापना की, जो बाद में भक्तों के लिए आशीर्वाद पाने का एक साधन बन गया।

प्रश्न9: क्या बुध प्रदोष व्रत करने का कोई विशेष समय है?

उ9: भक्त चंद्र पखवाड़े के 13वें दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। शाम की प्रार्थना और अनुष्ठान प्रदोष काल के दौरान किए जाते हैं, जो सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे पहले होता है।

प्रश्न10: बुध प्रदोष व्रत करने से क्या लाभ होते हैं?

ए10: भक्तों का मानना है कि ईमानदारी से व्रत रखने से इच्छाएं पूरी हो सकती हैं, बाधाएं दूर हो सकती हैं और समृद्धि और खुशी के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

निष्कर्ष:

जैसे-जैसे हम बुध प्रदोष व्रत के पवित्र पालन के बारे में गहराई से सोचते हैं, हमें एक ऐसी शाश्वत परंपरा मिलती है जो पीढ़ियों से आगे बढ़ती है। यह एक अनुस्मारक है कि जीवन की चुनौतियों के बीच, विश्वास और भक्ति का एक मार्ग मौजूद है जो दिव्य आशीर्वाद की ओर ले जाता है। बुध प्रदोष व्रत को अपनाकर, भक्त एक आध्यात्मिक यात्रा पर निकलते हैं जो उन्हें ईश्वर से जोड़ती है, सांत्वना, शक्ति और एक उज्जवल कल का वादा करती है। इस व्रत की पवित्र तरंगें हमारे जीवन में गूंजें, आनंद, तृप्ति और परमात्मा के साथ गहरा संबंध लाएँ।

(अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। vrmsolution.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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