Shivji Ki Aarti : “शिवजी की आरती”: ओम जय शिव ओमकारा

हिंदू अनुष्ठानों और भक्ति की जीवंत टेपेस्ट्री में, “शिवजी की आरती” (Shivji Ki Aarti) एक विशेष स्थान रखती है, जो आध्यात्मिकता का एक धागा बुनती है जो लाखों लोगों को परमात्मा से जोड़ती है। भगवान शिव को समर्पित यह मनमोहक अनुष्ठान, केवल शब्दों से परे और भक्ति के सार से गूंजता है। आइए “शिवजी की आरती”(Shivji Ki Aarti) की दुनिया में एक आत्मा-रोमांचक यात्रा शुरू करें, इसके महत्व, भक्ति के माधुर्य और इसे बढ़ावा देने वाले गहन संबंध की खोज करें।

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Shivji Ki Aarti : “शिवजी की आरती”: ओम जय शिव ओमकारा
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Category Religion & Spirituality

Shivji Ki Aarti : “शिवजी की आरती”: सार को समझना

“शिवजी की आरती” एक पवित्र भजन है जो ब्रह्मांडीय नर्तक, तपस्वी और परोपकारी देवता भगवान शिव की स्तुति में गाया जाता है। यह भक्ति और श्रद्धा की हार्दिक अभिव्यक्ति के रूप में कार्य करता है, जिससे दिव्य ऊर्जा से भरपूर वातावरण बनता है। छंद, अक्सर भावपूर्ण संगीत के साथ, भगवान शिव की उपस्थिति का आह्वान करते हैं और आंतरिक शांति, ज्ञान और मुक्ति के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।

अनुष्ठान का अनावरण:

टिमटिमाते दीयों की गर्म चमक, हवा में उड़ती धूप की खुशबू और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की लयबद्ध ताल के साथ गूंजती भक्तों की सामूहिक आवाजों में घिरे होने की कल्पना करें। यह वह माहौल है जो “शिवजी की आरती” बनाता है, जो भौतिक दुनिया से परे एक आध्यात्मिक संबंध को बढ़ावा देता है। भक्त इस अनुष्ठान में भाग लेने के लिए एक साथ आते हैं, अपने दिलों को भक्ति के स्वर में एकजुट करते हैं।

“शिवजी की आरती” का महत्व:

आध्यात्मिक उत्थान: माना जाता है कि “शिवजी की आरती” का पाठ मन और आत्मा को शुद्ध करता है, आध्यात्मिक विकास और ज्ञान को बढ़ावा देता है।

सांस्कृतिक विरासत: यह अनुष्ठान हिंदू धर्म की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक प्रमाण है, जो पवित्र परंपराओं को संरक्षित करते हुए पीढ़ियों से चली आ रही है।

सामुदायिक जुड़ाव: आरती में भाग लेने से भक्तों के बीच समुदाय और एकता की भावना बढ़ती है, जिससे सामूहिक प्रार्थना की शक्ति में विश्वास मजबूत होता है।

कृतज्ञता व्यक्त करना: आरती के छंदों के माध्यम से, भक्त भगवान शिव के प्रति उनकी उदारता के लिए आभार व्यक्त करते हैं और सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।

“शिवजी की आरती” कैसे करें:

तैयारी: दीये, धूप, फूल और आरती की थाली जैसी आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था करें।

आह्वान: भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति का आह्वान करते हुए प्रार्थना से शुरुआत करें।

पाठ: आरती की थाली की लयबद्ध ध्वनि के साथ भक्तिभाव से “शिवजी की आरती” के छंदों का जाप करें।

प्रसाद: भगवान शिव को फूल और धूप आदि प्रसाद चढ़ाएं।

परिक्रमा: श्रद्धा और विनम्रता का प्रतीक परिक्रमा के साथ आरती का समापन करें।

Shivji Ki Aarti : “शिवजी की आरती

ओम जय शिव ओंकारा – शिव आरती

ओम जय शिव ओंकारा।
प्रभु हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
स्वामी (शिव) पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

दोभुज चार चतुर्भुज, दशभुज अति सोहे।
स्वामी दशभुज अति सोहे।
तीनो रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
स्वामी मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी, कर माला धारी॥
(चन्दन मृगमद सोहे, भाले शशि धारी॥)
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेतांबर पीतांबर, बाघंबर अंगे।
स्वामी बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुडादिक, भूतादिक संगे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

करमध्येन कमंडलु, चक्र त्रिशूलधारी।
स्वामी चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकर्ता दुखहर्ता, जग-पालन करता॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
स्वामी जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर ओम मध्ये, ये तीनों एका॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विश्वनाथ विराजत, नन्दो ब्रह्मचारी।
स्वामी नन्दो ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुण स्वामीजी की आरती, जो कोइ नर गावे।
स्वामी जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी , मन वांछित फल पावे॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

ओम जय शिव ओंकारा।
प्रभु हर शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
॥ओम जय शिव ओंकारा॥

कर्पूर आरती

कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।

सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥

निष्कर्ष:

“शिवजी की आरती” केवल एक अनुष्ठान नहीं है; यह आत्मा का एक पवित्र नृत्य है, भक्ति का एक राग है जो समय के गलियारों में गूंजता है। जैसे ही हम अपने आप को दिव्य छंदों में डुबोते हैं, हमें एक ऐसे क्षेत्र में ले जाया जाता है जहां सामग्री खत्म हो जाती है, और आध्यात्मिक केंद्र बन जाता है। तो, साथी भक्तों के साथ हाथ मिलाएं, अपने दिल को भक्ति से गाने दें, और “शिवजी की आरती” के गहन आनंद का अनुभव करें। भगवान शिव की दिव्य कृपा आपके मार्ग को प्रेम और शांति से रोशन करे।

(अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। vrmsolution.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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