यदि आप सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं और एक संपूर्ण सुंदरकांड पीडीएफ बुक खोज रहे हैं, तो इस लेख में हम आपके लिए सुंदरकांड का पूरा संस्करण (sunderkand pdf download )पीडीएफ डाउनलोड करने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
आपको जो पीडीएफ हम दे रहे हैं, वह पूरी सुंदरकांड का हिंदी अर्थ सहित एक sunderkand pdf download है, जिसमें सभी दोहे और चौपाई छंद, श्री हनुमान जी और श्री रामायण जी की आरती और आचमन आदि शामिल हैं। यह (sunderkand pdf download )है, जो Gita Press द्वारा प्रकाशित किया गया है।
Table of Contents
Sunderkand pdf download Details
Sunderkand pdf download Details | |
Name Of PDF | Sunderkand pdf download Details |
Total Page | 130 |
PDF SiZE | 1.87 MB |
Language | Hindi |
Sunderkand pdf download Details | Download |
Category |
Religion & Spirituality |
Sunderkand pdf download Details
साथियों, अगर आप सुंदरकांड पीडीएफ डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे डाउनलोड लिंक मिल गया है। पूरा सुंदरकांड पीडीएफ हिंदी अर्थ सहित डाउनलोड करना चाहते हैं तो पूरा सुंदरकांड पीडीएफ डाउनलोड करें।
इस पीडीएफ में 158 पेज हैं, जिसमें सुंदरकांड का हिंदी अर्थ मोटे अक्षरों में लिखा गया है और सभी दोहे, छंद और चौपाई हैं। इस पीडीएफ फाइल का साइज 1.79 एमबी है। गीता प्रेस ने सुंदरकांड का पूरा पीडीएफ संस्करण प्रकाशित किया है।
सुंदरकांड का वर्णन: सुंदरकांड वाल्मीकि रामायण के पांचवें और छठवें संस्करणों का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस भाग में, हनुमान राम के सेनापति के रूप में लंका में रावण का वध करने के लिए जाते हैं। लंका में उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन अंततः रावण की सेना को हराकर सीता को बचाया।
सुंदरकांड में राम और हनुमान के बीच कई महत्वपूर्ण बातें हैं, लेकिन हनुमान का राम की भक्ति का अनुभव सबसे महत्वपूर्ण है। रामायण के इस भाग में हनुमान की भक्ति, उनकी समर्पण भावना, उनकी शक्ति, उनकी निष्ठा और उनकी प्रवीणता का बहुत अधिक चित्रण होता है।
भगवान राम ने हनुमान की सेवा और त्याग के बारे में सुंदरकांड में बहुत कुछ सीखा। इस भाग में सीता जी की भावनाएं, संतुष्टि और सपने भी दिखाए जाते हैं।
हनुमानजी का चरित्र सुंदरकांड में बहुत ही प्रभावशाली है। निष्ठा और समर्पण के कारण वे पूरी तरह से राम की सेवा करते हैं, जिससे उनकी भक्ति और शक्ति सभी को प्रेरित करती है।
सुंदरकांड में रामायण का वर्णन करना भी एक महत्वपूर्ण पक्ष है क्योंकि इसमें सीता जी का चरित्र भी बताया गया है। उनकी शुभाकांक्षा, संतुष्टि और सब्र विश्व के लिए अच्छे उदाहरण हैं।
रामायण की पूरी कहानी सुंदरकांड से मिलती है। इस भाग में हनुमान और राम के संवाद से हम दोनों के चरित्र के बारे में भी अधिक जान सकते हैं।
Sunderkand pdf download
अगर आप हनुमानजी के भक्त हैं और सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं, तो हमने नीचे सुंदरकांड का पीडीएफ डाउनलोड लिंक दिया है। पीढ़ियों को डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें:
Sundarkand
श्लोक
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् ।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।।
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।।
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।।
जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।।
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।।
जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।।
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।।
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।।
बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।।
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।।
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।।
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।।
दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।।
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