Ashwin Shukla Paksha Aarti Pdf

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Ashwin Shukla Paksha Aarti Pdf

Ashwin Shukla Paksha Aarti Pdf
Ashwin Shukla Paksha Aarti Pdf
PDF का नाम Ashwin Shukla Paksha Aarti Pdf
पृष्ठ संख्या 1
पीडीएफ साइज़ 60 KB
भाषा हिंदी
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Language Hindi

Ya Devi Sarva Bhuteshu PDF को हर दिन पढ़ने से आपकी दरिद्रता, दुःख और घर के कलेश दूर हो जाएंगे और आपके घर में खुसियाली आ जाएगी। माता दुर्गा के चार रूप हैं: लक्ष्मी, सरस्वती, काली और नौदेवी। इस मंत्र से माता की सभी रूपों की पूजा व स्तुति की जाती है।

यह मंत्र माता की प्रशंसा करके सफलता और आशीर्वाद पाने के लिए है। नियमित रूप से इस मंत्र का पाठ करने से व्यक्ति अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता है।। Ya Devi Sarva Bhuteshu मंत्र PDF

Ashwin Shukla Paksha Aarti Pdf

 

या देवी सर्व भूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१||

या देवी सर्व भूतेषु चेतनेत्य भिधीयते |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२||

या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||३||

या देवी सर्व भूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||४||

या देवी सर्व भूतेषु क्षुद्धारूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||५||

या देवी सर्व भूतेषु छायारूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||६||

या देवी सर्व भूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||७||

या देवी सर्व भूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||८||

या देवी सर्व भूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||९||

या देवी सर्व भूतेषु जातिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१०||

या देवी सर्व भूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||११||

या देवी सर्व भूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१२||

या देवी सर्व भूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१३||

या देवी सर्व भूतेषु कांतिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१४||

या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१५||

या देवी सर्व भूतेषु वृतत्तिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१६||

या देवी सर्व स्मृतिभूतेषु रूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१७||

या देवी सर्व भूतेषु दयारूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१८||

या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||१९||

या देवी सर्व भूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२०||

या देवी सर्व भूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२१||

या देवी सर्व भूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२२||

या देवी सर्व भूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||२३||

इन्द्रियाणा मधिष्ठात्री भूतानाम् चाखिलेषु |

या भूतेषु सततम् तस्यै व्याप्तिदेव्यो नमो नमः ||24||

चितिरूपेण या कृत्सनम एतत व्याप्य स्थितः जगत |

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||25||

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