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यदि आप पूरी तरह से दुर्गा माता के भक्त हैं, तो आपको उनकी आराधना करने के लिए उनकी आरती करनी चाहिए। जिससे देवी माँ आपको आशीर्वाद देती है और सभी दुःख दूर करती है। माना जाता है कि नवरात्री में देवी की पूजा करना बहुत शुभ और मंगलकारी है।
Navratri Aarti Pdf pdf view
Navratri Aarti Pdf | |
PDF का नाम | Navratri Aarti नवरात्री आरती |
पृष्ठ संख्या | 3 |
पीडीएफ साइज़ | 532 KB |
भाषा | हिंदी |
डाउनलोड Navratri Aarti नवरात्री आरती | यहाँ क्लिक्क करे |
दोस्तों, आज हम आपके लिए Navratri Aarti PDF या नवरात्रि आरती PDF लाए हैं, जो आपको नवरात्रि की सभी आरती पढ़ने को मिलेगी। सभी जानते हैं कि भारत हिन्दू धर्म का देश है और वहाँ कई भगवानों की पूजा की जाती है। उनमें नवरात्रि भी शामिल है। इस पर्व पर लोग पूरे नवरात्रों में माता सती के नौ रूपों की पूजा करते हैं।
रोजाना घरों में पूजा करना नवरात्रों को बहुत शुभ माना जाता है। पूजा करने से मन शांत होता है और दुःख से छुटकारा मिलता है। जिन लोगों ने नवरात्रि का व्रत रखा है, उन्हें पूजा करते समय ये आरती पढ़नी चाहिए क्योंकि यह माँ दुर्गा को प्रसन्न करता है।
Navratri Aarti Pdf
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती,जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती PDF
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली l
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी l
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी ll
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली,
दस भुजाओं वाली l
दुखिंयों के दुखडें निवारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
माँ बेटे का है इस जग में, बडा ही निर्मल नाता l
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता ll
सब पर करुणा दरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली l
दुखियों के दुखडे निवारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना l
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना ll
सबकी बिगडी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली l
सतियों के सत को संवारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली l
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ll
Durga Mata ki Jai