Pradosh Vrat Katha : प्रदोष व्रत कथा pdf 1 क्लिक डाउनलोड

इस पोस्ट में हम आपको Pradosh Vrat Katha भी सुनायेंगे और Pradosh Vrat के महत्व और प्रदोष व्रत कैसे करे सभी की जानकारी देंगे साथ ही Pradosh Vrat Katha बुक का पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए डायरेक्ट लिंक निचे देंगे जिससे आप Pradosh Vrat Katha बुक आसानी से डाउनलोड करके कभी भी पढ़ सकते है इस किताब में Pradosh Vrat Katha, Pradosh Vrat पूजन विधि , Pradosh Vratका महत्व और आवश्यक सभी जानकारी एवं आरती भी दी गई है

Pradosh Vrat का महत्व:

मान्यताओं के अनुसार Pradosh Vrat रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जा सकती है इससे जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता इतना ही नहीं हर प्रकार के आर्थिक संकटों का समाधान करने के लिए भी जीवन में प्रदूषण अवश्य ही रखनी चाहिए व्रत के प्रभाव से हर तरह के रोग दूर होकर बीमारियों पर होने वाले खर्चों में कमी आती है भगवान शिव को ज्ञान और मोक्ष का डाटा भी माना जाता है इसलिए मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखने वाली भक्तों को अपने जीवन मेंप्रदोष व्रत अवश्य ही रखना चाहिए 

Pradosh Vrat Katha
Name Of PDF Pradosh Vrat Katha
Total Page 34
PDF SiZE 1.70 MB
Language Hindi
Pradosh Vrat Katha Download
Category Religion & Spirituality

Pradosh Vrat Katha

एक नगर में तीन मित्र रहा करते थे राजकुमार ब्राह्मण कुमार और दैनिक कुमार राजकुमार और ब्राह्मण कुमार दोनों तो विवाहित थे लेकिन दैनिक पुत्र का विवाह तो हो गया था लेकिन उसका गौना अभिषेक था इसलिए धनिक पुत्र की पत्नी अपने मायके में ही थी एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों के बारे में चर्चा कर रहे थे तभी ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि नरिहीन घर तो भूतों का डेरा होता है धनिक पुत्र ने यह सुन तो तुरंत ही उसने अपनी पत्नी को घर लेवलने का निश्चय कर लिया धनिक पुत्र को उसके माता-पिता ने बहुत समझाया कि बेटा अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं

ऐसे में बहू बेटियों को उनके घर से विदा करवा कर लाना शुभ नहीं माना जाता लेकिन दानिता पुत्र ने अपने माता-पिता की एक नहीं सुनी और वह अपनी ससुराल पहुंच गया ससुराल जाने पर उसका खूब आदर सत्कार किया गया कुछ समय के बाद जब उसने अपनी पत्नी को भी साथ चलने के लिए कहा तब उसके ससुराल वालों ने उसे समझाने का प्रयास किया

परंतु वह तो अपनी पत्नी को विदा करने की जिद पर अड़ा रहा धनिक पुत्र की जिद के कारण कन्या के माता-पिता को आखिरकार अपनी पुत्री की विदाई करनी पड़ी विदाई करने के बाद दोनों पति-पत्नी शहर से बाहर निकल ही थे की बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई दोनों को बहुत चोट आई

लेकिन फिर भी वह किसी तरह चलते रहे अभी कुछ ही दूर पर पहुंचे थे कि उन्हें रास्ते में ही डाकू मिल गए डाकुओं ने उनका सारा धन लूट लिया जैसे ही दोनों घर पहुंचे कि धनिक पुत्र को सांप ने दास लिया तुरंत ही उसके पिता ने वैदिक को बुलवाया तो वैद्य ने उसे देखने के बाद बताया कि इसकी तो तीन दिन बाद मृत्यु हो जाएगी

जब धनिक पुत्र के मित्र ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वह धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र Pradosh Vrat रखने के बारे में बताया और उनसे कहा कि इस पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें

तब धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानकर पत्नी सहित अपने पुत्र को उसकी ससुराल भेज दिया जल्दी ही शुक्र प्रदोष व्रत का दिन आया तब उसने विधि विधान से प्रदोष व्रत रखा जहां पर इस व्रत को रखने से उसकी हालत ठीक होती चली गई और शुक्र प्रदोष के महत्व में से उसके सभी कष्ट दूर हो गए उसके बाद शुभ मुहूर्त में वह अपनी पत्नी को विदा कराकर अपने घर वापस लेकर आया शुक्र प्रदोष व्रत के दिन Pradosh Vrat Katha को अवश्य ही प्रणय सुनना चाहिए

Pradosh Vrat Katha
Pradosh Vrat Katha

Pradosh Vrat की रीति-रिवाज और परंपराएँ:

दांपत्य जीवन में मधुरता बनाने के लिए और खासकर जिन लोगों के विवाह संबंधी कोई समस्याएं बहुत ज्यादा हो तो ऐसे लोगों को अपने घर पर आई भी किसी भी स्त्री को मिठाई खिलाकर ही वापस भेजना चाहिए

 इस दिन अपने घर को अपने मंदिर को साफ सुथरा करके पूजन करना चाहिए भगवान शिव की पूजा में काले गहरे रंग के वस्त्रो का प्रयोग नहीं करना चाहिए किसी भी प्रदोष व्रत में यदि हो सके तो सफेद या हल्के गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करके पूजा करनी चाहिए पूजा हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके और कुछ के आसन पर बैठकर ही करनी चाहिए

व्रत रखने वाले भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव की मूर्ति या फिर तस्वीर के सामने बैठकर हाथ में जल या पुष्प लेकर व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए फिर विधि विधान से दूर दीप जलाकर भगवान की पूजा करके उपवास रखना चाहिए

इस उपवास में नमक का सेवन करने से बचना चाहिए दिनभर उपवास रखेंऔर शाम की पूजा आप विधि विधान से जरूर करें आपकी जैसी भी समर्थ हो उसके अनुसार भगवान को फलों का मिठाइयों का भोग लगे और अपनी समर्थ के अनुसार कुछ ना कुछ दान भी जरूर देना चाहिए क्योंकि किसी भी व्रत की सार्थकता तभी होती है या वह व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब उसे दिन कुछ ना कुछ दान दिया जाए दान देने वाली सामग्री में आप दूध का दूध से बनी वस्तुओं का खीर का दान कर सकते हैं 

Pradosh Vrat Shivji Ko Prasanna Kare

प्रदोष काल में अगर एक लोटा गंगाजल भी शिवलिंग पर अर्पित कर दिया जाए तो उसे महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के सभी दुख दूर करके उनकी झोलियां खुशियों से भर देते हैं इस दिन भगवान शिव सहित पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है

और इस दिन नंदी बाबा को आप एक मुट्ठी सबूत हरे मूंग अर्पित करें और उनके कान में आपकी जो भी मनोकामना है यह यदि आपके जीवन में कोई बहुत बड़ा दुख है इसके निवारण के लिए आपने यह व्रत रखा है तो उसके निवारण के लिए आप नंदी बाबा से जरूर प्रार्थना करें

Pradosh Vrat क्षमा याचना

नंदी बाबा से प्रार्थना करते समय आप हाथ जोड़कर क्षमा याचना भीकरें नंदी बाबा से प्रार्थना इसलिए की जाती है क्योंकि नंदी बाबा को भगवान शिव का कोतवाल समझा जाता है और हमारी मनोकामनाएं भगवान शिव तक पहुंचाने का सारा काम नंदी बाबा ही करते हैं शुक्र ग्रह का हमारी दांपत्य जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है

यदि शुक्र ग्रह के कारण शुक्र खराब है आपका दंपति जीवन में बहुत कड़वाहटते आ गई हो तो ऐसे में 11ल गुलाब के फूलों को गुलाबी रंग के धागे में पिरोकर यदि पति पत्नी मिलकर शाम के समय प्रदोष काल के समय शिवलिंग पर या भगवान शिव को ओम उमा महेश्वरी नमः इस मंत्र का 11 बार जाप करते हुए यह माला अर्पित करनी चाहिए ऐसा करने से दांपत्य जीवन में मधुरतती है

10 नवंबर शुक्रवार को शुक्र Pradosh Vrat रहेगा

 10 नवंबर शुक्रवार को शुक्र Pradosh Vrat रहेगा और इस दिन धनतेरस यानी धन त्रयोदशी का पर्व भी मनाया जाएगा त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी 10 नवंबर शुक्रवार की दोपहर 12:36 से और समाप्त होगी 11 नवंबर शनिवार की दोपहर 1:58 पर अब जाने इस दिन रहने वाले शुभ मुहूर्त के बारे में तो इस दिन सूर्योदय सुबह 6:41 सूर्यास्त शाम 5:40 पर अमृतपाल शाम 5:35 से 7:20 तक रहेगा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:48 से दोपहर 12:32 तक रहेगा और इस दिन शुभ नक्षत्र जो की हस्त नक्षत्र है सारा दिन रहने वाला है 10 नवंबर शुक्रवार को प्रदोष काल का समय रहेगा

शाम 4:55 से 6:25 तक इसी शुभ मुहूर्त में आपको प्रदोष व्रत की पूजा करके अपना उपवास को लेना है राहुकाल का समय इस दिन सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 तक रहेगाजो कि अशुभ मुहूर्त में गिना जाता है उम्मीद है आज की यह artical आपको पसंद  aya hoga


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